Tuesday, January 1, 2019

Naya saal Mubarak

दिन को महीने और महीनो को साल होते देखा
मैंने भी इस साल कुछ चीज़ों को बदलते देखा
कुछ पाने के आस मैं शायद कुछ खोया मैंने
इस साल मैंने भी अपने माँ बाप को बुड्ढे होते देखा

माना के व्हाट्सप्प और फेसबुक से दूरियां काम हो जाती है
लेकिन अब भी क्यों मुझे मेरे सेहर की वो गालियां रोज़ बुलाती हैं

शायद कुछ और साल ऐसे ही बिताऊंगा
अपनों से दूर रहकर शायद कुछ और पैसे कमाऊंगा
फिर अगले साल खुदको एहि कहकर मनाऊंगा
के एक दिन में घर वापस लौट आऊंगा। 

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