आज मुझे मेरा घर याद आया...
वही मकान और वही कमरा याद आया ...
और उस कमरों मैं देखा सारा सपना याद आया....
आज मुझे मेरा घर याद आया...
कुछ खट्टी मीठी यादो का बसेरा याद आया...
वही गलियों का शोर शराबा याद आया...
आज मुझे मेरा घर याद आया...
ईद मैं सजा हुआ वो रास्ता याद आया...
माँ के हाथ का वो सेवइयां याद आया...
इत्र सुरमा और कुर्ता याद आया...
आज मुझे मेरा घर याद आया...
ईद के दिन वो नाहा के तैयार होना याद आया...
नमाज़ पढ़ने के बाद ईदी माँगना याद आया...
आज मुझे मेरा घर याद आया...
और घर मैं बीता वो बचपन याद आया...
वही मकान और वही कमरा याद आया ...
और उस कमरों मैं देखा सारा सपना याद आया....
आज मुझे मेरा घर याद आया...
कुछ खट्टी मीठी यादो का बसेरा याद आया...
वही गलियों का शोर शराबा याद आया...
आज मुझे मेरा घर याद आया...
ईद मैं सजा हुआ वो रास्ता याद आया...
माँ के हाथ का वो सेवइयां याद आया...
इत्र सुरमा और कुर्ता याद आया...
आज मुझे मेरा घर याद आया...
ईद के दिन वो नाहा के तैयार होना याद आया...
नमाज़ पढ़ने के बाद ईदी माँगना याद आया...
आज मुझे मेरा घर याद आया...
और घर मैं बीता वो बचपन याद आया...
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